बृहस्पति ग्रह, जिसे गुरू भी कहा जाता है, नवग्रहों में अति महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को देवगुरू, ज्ञान का कारक कहकर परिभाषित किया गया है। जन्मकुण्डली में गुरू बलवान होने पर व्यक्ति ज्ञानवान एवं सद्गुण सम्पन्न होता है क्योंकि नवग्रहों में बृहस्पति सर्वाधिक शुभ ग्रह है। अगर किसी कन्या की जन्मकुण्डली में गुरू ग्रह कमजोर हो तो उसके विवाह में विलम्ब होता है। उपायों के माध्यम से गुरू को बलवान करने से कन्या को सुहाग एवं सन्तान सुख सहज प्राप्त हो जाता है। गुरू संतान का कारक भी है। गुरू को बलवान करने के लिए पुखराज सोने की अंगूठी में जड़वाकर गुरूवार के दिन तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।