जानिए ज्योतिष के अनुसार कोन सा रत्न हैं आपके लिए लाभदायक......?☺️

5 months ago
रत्न ईश्वर का दिया एक ऐसा वरदान है जिसके माध्यम से हम अपने जीवन की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं तथा रोग को ठीक कर सकते हैं , परंतु यदि गलत रत्न धारण कर लिए तो संपूर्ण जीवन बर्बाद हो सकता है एवं जीवन में मृत्यु तुल्य कष्ट भी प्राप्त हो सकता है । आजकल टीवी पर या Facebook पर एक फैशन चल गया है की कुंडली में त्रिकोण सदा शुभ रहते हैं एवं इनका रत्न धारण लो , जबकि यह गलत परामर्श है , क्योंकि त्रिकोण जीवन में उन्नति लाते हैं पर लग्न को छोड़कर नवमेश एवं पंचमेश अकारक भी हो सकते हैं । कोई जरूरी नहीं है कि आपके जीवन में जो परेशानी है वह त्रिकोण के कमजोर होने के कारण ही है । कई बार ऐसा देखा गया है त्रिकोण मजबूत है परंतु दूसरे किसी भाव के स्वामी ग्रह के कमजोर होने के कारण जीवन में परेशानी आ रही है , इसलिए जन्म पत्रिका का सही तरीके से विश्लेषण कराने के बाद रत्न धारण करना चाहिए । कई लोग राशि के हिसाब से रत्न पहनाते हैं , यह भी गलत है । कोई आवश्यक नहीं है कि आपकी राशि का स्वामी कारक ग्रह ही हो । कई बार चंद्रमा लग्न कुंडली के हिसाब से छठे , आठवें या बारहवें घर में भी बैठ जाता है और उस हिसाब से उस राशि का स्वामी अकारक हो जाएगा । ? रत्न कभी भी लग्न कुंडली के हिसाब से ही धारण करना चाहिए । जब ऐसी स्थिति बन रही हो कि रत्न के सिवा कोई रास्ता नहीं है तभी रत्न धारण करना चाहिए , क्योंकि कई बार जीवन में आने वाली समस्या को ठीक करने के लिए ग्रहों से संबंधित दान , उपाय एवं मंत्र जाप करना पड़ता है । जब कुंडली का विश्लेषण होगा तभी पता चलेगा कि आपके जीवन में जो समस्या आ रही है उसको ठीक करने के लिए किसी ग्रह को प्रबल करना है या दान एवं उपाय करना है । ? रत्न कारक आकारक इत्यादि देखकर नहीं धारण करना चाहिए । रत्न धारण करने के लिए सबसे पहले जन्म कुंडली का फलादेश करना चाहिए फिर यह देखना चाहिए कि कौन सा ग्रह हमें लाभ दे रहा है और बिल्कुल कमजोर है फिर उसका रत्न धारण करना चाहिए । चाहे त्रिकोण हो चाहे दूसरे किसी भी भाव का स्वामी हो यदि फलादेश के हिसाब से हमें लाभ दे रहा है और कमजोर है तब उसका रत्न धारण करने में कोई परेशानी नहीं है । मुख्य फलादेश है। मात्र शौक के लिए त्रिकोण है इसका रत्न धारण कर ले यह ठीक नहीं है । जिस प्रकार शरीर में किस विटामिन की कमी होती है उससे संबंधित ही भोजन या दवा का सेवन किया जाता है उसी प्रकार हमारे कुंडली में जिस ग्रह की हमें आवश्यकता है और वह बिल्कुल कमजोर है उसका ही रत्न धारण करना चाहिए । ? यदि कोई भी हमें लाभ देने वाला ग्रह छठे आठवें बारहवें भाव में चला जाए तो इसका मतलब यह नहीं होता है कि वह अकारक हो गया । छठे आठवें बारहवें भाव में जाने का मतलब मात्र इतना होता है कि वह अपना पूर्ण फल नहीं दे पाते हैं परंतु फल तो देते हैं ऐसी स्थिति में उनका रत्न धारण करने से कोई भी परेशानी नहीं होती है । मेरी कुंडली में मेरे दशम भाव का स्वामी द्वादश भाव में विराजमान है और मैं चार-पांच वर्षों से उसका रत्न धारण किया हूं रत्न धारण करने के बाद मुझे रोजगार में उन्नति हुई । ? यदि कोई लाभ देने वाला ग्रह नीच राशि में विराजमान हो जाए तब भी उसका रत्न धारण करने से कोई परेशानी नहीं होती है क्योंकि नीच राशि में विराजमान होने का मतलब यह होता है कि वह बिल्कुल कमजोर है वह अपना फल नहीं दे पा रहा है । मेरे पुत्र की तुला लग्न की कुंडली है उसमें चंद्रमा नीच राशि में विराजमान है जिसके कारण चंद्रमा की अंतर्दशा आने पर उसे मानसिक परेशानी होने लगी और मुझसे कुछ मतभेद भी करने लगा तब मैंने उसे मोती धारण करवाया धारण करने के 6 महीने के बाद उन समस्याओं में बहुत लाभ हुआ । मैंने बहुत सारे लोगों को नीच राशि का रत्न धारण करवाया सभी को लाभ हुआ । किसी को से कोई परेशानी नहीं हुई । मेरे एक वरिष्ठ गुरु भाई जिनके माध्यम से मैं ज्योतिष के क्षेत्र में आगे बढ़ा लगभग 25 वर्ष से वह ज्योतिष का कार्य कर रहे हैं और मुझसे पहले भी उन्होंने कितने नीच राशि में विराजमान ग्रहों का रत्न लोगों को धारण करवाया या छठे आठवें बारहवें घर में विराजमान ग्रहों का रत्न धारण करवाया किसी को कोई परेशानी नहीं हुई ( मुख्य बात है जन्मकुंडली का विश्लेषण करना ) ? ज्यादातर लोग के दूसरों की बातों को कॉपी पेस्ट करके दूसरे को डराते रहते हैं । कभी आप स्वयं पर प्रयोग करेंगे तभी वास्तविकता पता चलेगा । बहुत से व्यक्तियों की समस्याओं को या बीमारी को ठीक किया जा सकता था लेकिन लोगों ने उन्हें डरा कर उससे संबंधित रत्न को नहीं धारण करने दिया जिसके कारण जीवन में परेशानी झेलनी पड़ी । जब हम ज्योतिष का अध्ययन करते हैं तब कारक कारक के विषय में जानकारी दी जाती है परंतु जब फलादेश करते हैं और परेशानी का उपाय हमें ढूंढना होता है तब वहां वह नियम काम नहीं करता है । ? कुछ लोग सिर्फ त्रिकोण का रत्न धारण करवा देते हैं यह नहीं देखते कि वह प्रबल है या कमजोर है , और जिसकी आवश्यकता है उसका रत्न नही धारण करवाते हैं । ?? नीच राशि में ग्रहों का रत्न धारण करना और छठे आठवें बारहवें भाव में गए ग्रहों का रत्न धारण करने का मतलब मेरा यह कहना नहीं है कि ऐसे सभी ग्रहों का रत्न धारण किया जाए सबसे पहले फलादेश किया जाए फिर देखा जाए कि हमें उसकी आवश्यकता है या नहीं तभी धारण किया जाए । स्वयं ज्योतिषी बनने का प्रयत्न ना करें । ? कोई भी रत्न धारण करने से पहले Astrorishi aap पर हमारे ज्योतिषाचार्य से जन्म कुंडली का संपूर्ण विश्लेषण करवाएं । ?????