ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में गुरु चांडाल योग एक विशेष प्रकार का योग होता है, जो गुरु ग्रह और राहु ग्रह के एक साथ आने पर बनता है। ये दोनों ग्रह जिस भाव में मिलते हैं, उस भाव के विषयों पर इसका खास प्रभाव पड़ता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम आ सकते हैं, जो बाकी ग्रहों की स्थिति और कुंडली के अन्य कारकों पर निर्भर करता है।
गुरु चांडाल योग के प्रभाव:
1. आध्यात्मिकता और धर्म: गुरु ग्रह धार्मिकता, ज्ञान और धर्म का कारक होता है, जबकि राहु इन चीजों पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है, जिससे व्यक्ति का दृष्टिकोण धर्म, नैतिकता या परंपराओं के प्रति अलग हो सकता है।
2. संबंध और शिक्षा: शिक्षा के मामले में यह योग व्यक्ति को अपरंपरागत या विज्ञान-तकनीक से जुड़े क्षेत्रों की ओर आकर्षित कर सकता है। हालांकि, इसमें एकाग्रता और अनुशासन की कमी हो सकती है।
3. नैतिकता: गुरु चांडाल योग से प्रभावित व्यक्ति कई बार नैतिक दृष्टिकोण से हटकर विचार कर सकता है। राहु के प्रभाव के कारण व्यक्ति विशेष रूप से भौतिक सुखों की लालसा रख सकता है।
गुरु चांडाल योग के उपाय:
1. गुरुवार का उपवास: गुरु ग्रह के लिए गुरुवार का उपवास करना लाभकारी हो सकता है।
2. गुरु मंत्र जप: "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" मंत्र का प्रतिदिन जप करना।
3. राहु ग्रह के उपाय: राहु के प्रभाव को कम करने के लिए 'राहु मंत्र' या 'राहु बीज मंत्र' का जप करना।
4. दान: गुरु ग्रह के लिए पीले वस्त्र का दान और राहु के लिए उड़द, नीले वस्त्र का दान करना।
इस योग के कारण होने वाले प्रभाव या इसकी तीव्रता हर व्यक्ति की कुंडली में अलग-अलग हो सकती है। इसलिए, कौन से उपाय करें, यह तय करने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेना उचित रहेगा।